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पत्थर के अवैध उत्खनन से कांप रहे सदियों पुराने धार्मिक स्थल और ऐतिहासिक धरोहरें

मुरैना। एक ओर प्रदेश सरकार मंदिर व ऐतिहासिक स्थलों को सहेजने के प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर मुरैना में पत्थर माफिया सदियों पुराने मंदिर व ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। त्रेतायुगीन शनि मंदिर से लेकर सदियों पुराने बटेश्वरा, मितावली, पड़ावली जैसे ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों स्थलों के इर्द-गिर्द डाइनामाइट लगाकर पत्थरों का दिन-रात अवैध उत्खनन हो रहा। इससे मंदिरों की नींव से लेकर गुंबद तक थर्रा रही हैं। इनमें से अधिकांश स्थलों को पिछले साल सरकार ने स्वदेश दर्शन 2.0 योजना में शामिल किया, फिर भी इनकी सुरक्षा व संरक्षण अब भी भगवान भरोसे हैं।

पत्थर के अवैध उत्खनन का सबसे बड़ा नुकसान बटेश्वरा मंदिर समूह पर दिख रहा है। आठ से 10वीं शताब्दी के बीच बने बटेश्वरा में 200 से ज्यादा मंदिर भग्नावस्था में थे, जिनमें से 60 मंदिरों को करीब 20 साल पहले पुराने अस्तित्व में खड़ा किया। यहां की पहाड़ियों से निकलने वाले बलुआ पत्थर की मांग विदेशों तक है, इसलिए बटेश्वरा के आसपास जमकर पत्थरों का अवैध उत्खनन किया या रहा है। डाइनामाइट फटने से धरती में होने वाले कंपन्न के कारण 60 मंदिरों में से 25 से ज्यादा के गुंबद के कलश गिरकर टूट चुके हैं, कई मंदिरों के गुंबद बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। पुरातत्व विभाग के पूर्व क्षेत्रीय उप अधीक्षक एक सक्सेना भी मानते हैं कि बटेश्वरा और उससे सटी पड़ावली गढ़ी के चारों ओर पहाड़ियों पर आज भी धड़ल्ले से पत्थरों का अवैध उत्खनन जारी है। इससे मंदिर क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।

मुरैना के ऐंती गांव में त्रेतायुगीन शनि मंदिर है। यह मंदिर जिस पहाड़ी पर बना है उसे शनि पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। सरकार इस शनि मंदिर को महाकाल लोक की तर्ज पर विकसित करने की योजना पर काम कर रही है, दूसरी तरफ पत्थर माफिया शनि पहाड़ी को खोखला करने में लगे हैं। शनि पहाड़ी पर होने वाले अवैध उत्खनन का खुलासा पूर्व सीसीएफ शशि मलिक द्वारा करवाई गई जांच में सामने आ चुका है। संभागीय उड़नदस्ता ने पिछले साल शनि पहाड़ी पर 43 स्थान ऐसे चिह्नित किए थे, जहां से पत्थरों का अवैध उत्खनन हो रहा है, इनमें कंपार्टमेंट 15 व 16 में भारी अवैध उत्खनन बताया। इनमें से कुछ स्थान शनि मंदिर के बेहद करीब हैं।

अब नरेश्वर तक पहुंचे माफिया

मिलावती जहां प्रसिद्ध चौसठ योगिनी मंदिर है, जिसके चारों ओर डाइनामाइट से लेकर जेसीबी, एनएनअी जैसी मशीनों से भारी मात्रा में पत्थर उत्खनन हो रहा है। पत्थर माफिया इतना बेखौफ है, कि बीते साल कार्रवाई को गई वन टीम को पथराव और फायरिंग कर खदेड़ दिया। यह पत्थर माफिया अब नरेश्वरा के मंदिर समूहों तक जा पहुंचा है, जहां दर्जनों मंदिर बटेश्वरा की तरह शृंखला में बने हैं। पत्थर माफिया मंदिर से 300 मीटर के भी नजदीक में डाइनामाइट तक से पत्थर निकाल रहा है, जिससे मंदिरों के अस्तित्व को खतरा बढ़ता जा रहा है।

पत्थरों का अवैध उत्खनन ऐसे स्थलों के आसपास हो तो रहा है, जो हमारे नियंत्रण से परे है। शासन व माइनिंग विभाग को इन पर कार्रवाई करनी चाहिए। बटेश्वरा के पास से तो हमने रोकने का बहुत प्रयास किया है, लेकिन नरेश्वर में यह लगातार बढ़ रहा है। ऐसे स्थलों की सुरक्षा के लिए आसपास के क्षेत्र से इस तरह का उत्खनन रुकना ही चाहिए।

– मनोज कुर्मी, अधीक्षक, भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण।

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