धरती के चक्कर लगाने वाले सैटेलाइट 10 लाख से ज्यादा होंगे; अंतरिक्ष में प्रदूषण बढ़ेगा, पुराने सैटेलाइट का कचरा भी धरती पर गिरता रहेगा
सरकारी एजेंसियां और कंपनियां हर साल कई सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षाओं में स्थापित कर रही हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कुछ साल में धरती के चारों ओर घूम रहे इन सैटेलाइट की संख्या 10 लाख तक एक पहुंच पहुंच जाएगी। इन्हें भेजने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रॉकटों से उत्सर्जन का स्तर भी बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा। इससे पृथ्वी के वायुमंडल की प्राचीन परतों को भारी नुकसान पहुंचेगा। पुराने खराब सैटेलाइट का कचरा भी धरती पर गिरता रहेगा। 1990 में नासा द्वारा कई रकिट भेजने के बाद केप कनेवरल के ठीक ऊपर ओजोन में एक छोटा छेद हो गया था। 2022 में अध्ययन से पता निचली कक्षा में 9 हजार से ज्यादा सैटेलाइट स्थापित किए जा चुके हैं।
पृथ्वी की निचली कक्षा में 9 हजार से ज्यादा सैटेलाइट स्थापित किए जा चुके हैं। इनमें पांच हजार से ज्यादा स्टारलिंक के हैं। यह एक किस्म का तारामंडल है, जिसे स्पेस एक्स धरती के कोने-कोने तक इंटरनेट सेवा स्थापित करने के लिए बना रहा है। इसे पूरा करने के लिए हजारों सैटेलाइट भेजना बाकी है।
जोखिमों का आकलन करती हैं। लेकिन, इन्हें भेजने से हो रहे प्रदूषण को कम करने पर नियम निर्धारित नहीं किए जाते हैं। वैज्ञानिक बढ़ती अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था को सीमित नहीं करना चाहते हैं। पर उन्हें डर है कि इससे होने वाले गंभीर परिणामों को हम नजरअंदाज न कर दें।
अंतरिक्ष की गतिविधियों और सैटेलाइट में अंतर करना मुश्किल
खगोलशास्त्रियों को अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों और सैटेलाइट के बीच अंतर करने में मुश्किल हो रही है। सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोप भी हजारों सैटेलाइट के कारण नाकाम साबित हो रहे हैं। 2020 में दूर की आकाशगंगा में अत्यधिक ऊर्जावान विस्फोट होने का दावा किया गया था। हालांकि, घटना के विश्लेषण से पता चला कि वो सिर्फ एक चक्कर लगाता सैटेलाइट था। इस समस्या से निपटने के लिए खगोलशास्त्री सैटेलाइट की रोशनी कम करने के विकल्प और अन्य समाधानों पर एजेंसियों के साथ चर्चा कर रहे हैं।
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