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डाइट धर्मजयगढ़ में हुआ टी एल एम निर्माण कार्यशाला का आयोजन

धर्मजयगढ़-शाला अनुभव कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसके माध्यम से भावी शिक्षक अपने व्यवसाय से

परिचित होते है, और उन्हें शाला के वास्तविक परिस्थितियों में कार्य करने का अनुभव प्राप्त होता है।
छात्राध्यापक सीधे कक्षा अधिगम प्रक्रिया से जुड़ता है तथा विभिन्न शालेय शैक्षिक एवं सहशैक्षिक
गतिविधियों के द्वारा विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं समुदाय से जुड़ने का अवसर प्राप्त होता है। वह अपने कार्यों
का स्वमूल्यांकन एवं विश्लेषण करता है तथा विद्यार्थियों, शिक्षकों से फीडबैक प्राप्त करता है ताकि अपने
अधिगम अनुभव के आधार पर सीखने सीखाने की प्रक्रिया को प्रभावी बना सके और अधिकतम बच्चों को
लाभ हो सके। शाला अनुभव कार्यक्रम में कक्षा शिक्षण प्रक्रिया को रोचक प्रभावशाली एवं आनंददायी
बनाने के लिये टी. एल. एम. का उपयोग नितान्त आवश्यक है।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान धरमजयगढ़ में प्राचार्य श्री अनिल पैंकरा के मार्गदर्शन एवं PSTE
प्रभारी श्री अनिल गवेल के सहयोग से संस्थान में
अध्ययनरत छात्राध्यापकों का शाला अनुभव कार्यक्रम की पूर्व
तैयारी हेतु दिनांक 01.08.2023 से दिनांक 03.08.2023 तक
तीन दिवसीय टी.एल. एम. निर्माण एवं इसकी उपयोगिता पर
कार्यशाला का आयोजन किया गया ताकि अपने द्वारा चुने
संस्था में जाकर बच्चों के समक्ष प्रभावी अध्यापन कर सकें।
जिसमें द्वितीय वर्ष के लगभग 85 छात्राध्यापकों ने टी.एल.
एम. निर्माण कार्यशाला में भाग लिया। उनके द्वारा प्राथमिक
एवं उच्च प्राथमिक शालाओं के विद्यार्थियों के कक्षा शिक्षण
को रोचक एवं प्रभावशाली बनाने हेतु विभिन्न प्रकार के विषय आधारित टी. एल. एम. का निर्माण किया
गया। जिसमें परिवहन के प्रकार स्थानीय मान, संख्या पहचान, जल चक्र, वातावरण की पहचान,
पर्यायवाची शब्द, घटाव यंत्र, दिनों के नाम जोड़ मशीन, विलोम शब्द, राष्ट्रीय प्रतीक, आकृतियों की
पहचान, मौसम की जानकारी, स्टेथेस्कोप, गुणा करना, मात्राओं की खिड़की, भिन्नों की समझ, विराम
चिन्हों की समझ मात्राओं के
फूल, इंद्रियां, शरीर के भाग,
जानवरों की पहचान, पूर्ववर्ती
परवर्ती संख्या, स्वर एवं व्यंजन,
बढ़ते क्रम घटते क्रम, फलों के
नाम, जमीन के नीचे एवं ऊपर
पाये जाने वाले खाद्य सामग्री
इत्यादि विषयवस्तु पर टी.एल.
एम. का निर्माण किया गया । इस
पूरे कार्यशाला के सफल
आयोजन में डाइट के समस्त
अकादमिक सदस्यों का महत्वपूर्ण
योगदान रहा।

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